गूगल इंक. ने इंटरनेट की दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बनाया है। यह मुकाम उसने अपनी रचनात्मकता के बूते बनाया है। गूगल के पास रचनाशील युवाओं की पूरी एक फौज है जो उसे दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्की करने में मदद करती है। गूगल के जनक लैरी पेज और सर्जेई ब्रिन खुद भी युवा हैं, रचनाशील हैं और उन्होंने अपने जैसे ही युवाओं की एक टीम भी बना रखी है। गूगल की रचनात्मकता उसके "लोगो" से भी यदा-कदा झलकती रहती है। आपने गूगल का लोगो जरूर देखा होगा। यह लोगो विश्व में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला लोगो है जिसे हम अमूमन रोज ही गूगल के सर्च इंजन का उपयोग करते समय देखते हैं। कई बार आपने ध्यान दिया होगा कि गूगल के मूल लोगो के साथ कई प्रयोग किए जाते हैं। मसलन किसी महापुरुष के जन्मदिन पर, नववर्ष पर, क्रिसमस पर या अन्य किसी अंतरराष्ट्रीय विशेष दिवस जैसे मदर्स डे, फादर्स डे, वर्ल्ड एनवायरमेंट डे या वैलेनटाइन्स डे पर। ऐसे समय में बनाए जाने वाले विशेष लोगो को गूगल "हॉलीडे लोगो" या "डूडल" कहता है। इसे हमने कई बार देखा है, आपसी बातचीत में उसकी तारीफ भी की है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह चमत्कारी डूडल बनाता कौन है। तो जानिए गूगल के डूडलर के बारे में..।गूगल की प्रतिभाशाली नौजवानों की टीम के एक सदस्य डेनिस ह्वांग ही गूगल के असली डूडलर हैं। दक्षिण कोरियाई मूल के ह्वांग सिर्फ 31 वर्ष के हैं। उनका जन्म 1978 में अमेरिका के टेनेसी प्रांत में हुआ और वे सन् 2000 से गूगल के साथ जुड़े हुए हैं और ये अनोखे डूडल बना रहे हैं। ह्वांग ने कैलीफोर्निया के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय से कम्प्यूटर साइंस में स्नातक किया और उसी समय गूगल के साथ इंटर्नशिप भी की। बाद में गूगल इंक. में ही वे वैबमास्टर बन गए। अब वैबमास्टर ह्वांग गूगल के लिए सालभर में तकरीबन 50 ऐसे डूडल बनाते हैं। ये डूडल कुछ खास दिनों के लिए बनाए जाते हैं जो उस दिन संसार भर में गूगल के लोगो की जगह आपकी-हमारी कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखाई देते हैं। हालाँकि गूगल के लिए पहला डूडल तो खुद गूगल के जनक लैरी पेज और सर्जेई ब्रिन ने ही बनाया था लेकिन बाद में उन्होंने यह काम ह्वांग को सौंप दिया। 14 जुलाई 2000 को ह्वांग ने बेस्टाईल डे (फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस) पर पहला डूडल बनाया। वो इतना हिट हुआ कि पेज और ब्रिन ने ह्वांग को ही स्थाई डूडलर नियुक्त कर दिया। हाल ही में उसने दो अक्टूबर को गाँधीजी को लेकर गूगल का लोगो बनाया था। हाल ही में गूगल ने विभिन्न देशों के बच्चों के बीच एक प्रतियोगिता भी आयोजित कराई थी जिसमें डूडलर खोजा जाना था। इसमें जो बच्चा गूगल का सर्वश्रेष्ठ डूडल बनाकर देगा उसे एक लैपटॉप और उसके स्कूल को कई हजार डॉलर की स्कॉलरशिप मिलनी थी। अमेरिका में यह प्रतियोगिता क्रिस्टीन एनजिलबर्थ ने जीती जिसे 15 हजार डॉलर की कॉलेज स्कॉलरशिप तथा एक लैपटॉप मिला, जबकि उसके स्कूल को 25 हजार डॉलर की टैक्नोलॉजी ग्रांट मिली। भारत में इस प्रतियोगिता के विजेता की घोषणा होना अभी बाकी है क्योंकि प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम तिथि 30 सितंबर थी। इसमें विजेता बच्चे के लिए एक लैपटॉप तथा एक लाख रुपए का इनाम रखा गया है। विजेता बच्चों के देश में एक विशेष दिन गूगल उनके बनाए गए डूडल का प्रदर्शन करेगा जिसे करोड़ों लोग अपनी कम्प्यूटर स्क्रीन पर देख सकेंगे। तो आप जब भी गूगल के अनोखे डूडल देखें तो यह जरूर याद रखें कि इन्हें सिर्फ 31 वर्ष का एक युवा बना रहा है।
शुक्रवार, 13 नवंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें