गुरुवार, 19 नवंबर 2009

यू ट्यूब

यू ट्यूब ऐसी वेबसाइट है जो पब्लिशिंग यूज़र-पोस्टेड वीडियो क्लिप में विशेषज्ञ होती है। यह इंटरनेट पर सबसे लोकप्रिय दस वेबसाइटों में से एक है। इस साइट को देखने वाले सबसे अधिक टीनएजर और युवा-वयस्क होते हैं। इसका स्लोगन “ब्रॉडकास्ट योरसेल्फ़” है, इसका अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छानुसार ब्रॉडकास्ट के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते इसे कुत्सित भावना से नहीं किया गया हो। इसकी शुरूआत 2005 में हुई, जिसे बाद में गूगल द्वारा खरीदा गया। इसे www.youtube.com पर प्राप्त किया जा सकता है। यद्यपि, इसमें अधिकांश वीडियो वास्तविक ग़ैर-व्यावसायिक वीडियो होते हैं, लेकिन अब कुछ प्रचारक और मीडिया प्रोड्यूसरों द्वारा इसमें व्यावसायिक विषय-वस्तु भी प्रदान की जा रही है। अनेक लोग नाच-गाने, वीडियो रिज्यूम पोस्ट करने के द्वारा, और अन्य क्रिएटिव तरीकों से सेलीब्रिटि स्टेटस तक पहुँचने के लिए यू ट्यूब का उपयोग करते हैं। इसमें मौजूद अनेक वीडियो को ब्राउज़ करना और इसमें अपने स्वयं के वीडियो को अपलोड करना भी बहुत आसान है। यू ट्यूब का आधारभूत आकर्षण इसकी सरलता और सार्वभौमिक पहुँच है। अनेक अन्य वीडियो शेयरिंग साइट भी हैं लेकिन इनमें से कोई भी यू ट्यूब के सांस्कृतिक प्रभाव और अति विशाल सामग्री के बराबर नहीं। बिना रजिस्टर किए हुए यूज़र साइट पर वीडियो को देख सकते हैं, जबकि रजिस्टर यूज़र्स असीमित संख्या में वीडियो को अपलोड कर सकते हैं। यू ट्यूब में यूज़र को अपने कंप्यूटर पर वीडियो डाउनलोड के लिए हतोत्साहित किया जाता है, और प्रयास किया जाता है कि लोग ऑनलाइन ही वीडियो को देखें। अन्य सोशल-नेटवर्किंग साइट की तरह, यू ट्यूब भी कुछ संवेदनशील राजनैतिक और व्यक्तिगत विषयों से संबंधित विरोधाभासों पर केन्द्रित होता है। इसके कारण, कुछ देशों में इस साइट पर रोक लगी हुई है।

वीकीपीडिया

“वीकीपीडिया”, इंटरनेट पर सबसे अधिक लोकप्रिय रिफ्ररेन्स साइट है। यह पूरे विश्व के लेखकों द्वारा लिखा गया वेब-आधारित मुफ़्त मल्टीलिंग्वल इनसाइक्लोपीडिया है। ऑनलाइन समुदाय के लोगों के मिश्रित प्रयासों के फलस्वरूप इस उच्च-गुणवत्ता वाले इनसाइक्लोपीडिया का निर्माण हुआ है। यह विभिन्न विषयों और समान्य जानकारी को तेज़ी से समझने की सुविधा प्रदान करता है। इसमें वीकीमीडिया फ़ाउंडेशन द्वारा संचालित 195 स्वतंत्र भाषाओं के संकलन शामिल हैं। सन् 2001 में तैयार वीकीपीडिया आज सबसे बड़ी रिफ़रेन्स वेबसाइट के रूप में तेज़ी से विकसित हो चुकी है। यह विशेष प्रकार का वेबसाइट है, जिसे “विकी” कहा जाता है। इसमें कोई भी व्यक्ति आर्टिकल को जोड़ और एडिट कर सकता है। अनेक लोग वीकीपीडिया की विषय-सामग्री को लगातार बढ़ा रहे हैं। विषय-सूची की सावधानीपूर्वक समीक्षा की जाती है और अनुचित बदलाव को हटाया जा सकता है। लगातार ग़लत एडिटिंग करने वालों को ब्लॉक किया जा सकता है। वीकीपीडिया के एडिटिंग नियमों के अर्न्तगत सूचना को जोड़ने के लिए हर किसी का स्वागत है। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी आर्टिकल के लिए सूचना को जोड़ते है, तो आपको उसके उचित रिफ़रेन्स को शामिल करना ज़रूरी होता है। यह इनसाइक्लोपीडिया www.wikipedia.com पर प्राप्त किया जा सकता है। मुख्य पेज पर जाने के लिए अपनी इच्छानुसार भाषा को सेलेक्ट करें। अब “इंगलिश” पर क्लिक करें। स्क्रीन के बाँयी तरफ़, दो बटन “गो” और “सर्च” के साथ आप एक “सर्च” बॉक्स को देख सकते हैं। अब महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन से संबंधित सूचना को देखते है। बॉक्स में “आइंस्टीन” को टाइप करें, और एंटर प्रेस करें या “गो” पर क्लिक करें। यह आपको सीधा वीकीपीडिया में टाइप किए गए कीवर्ड से संबंधित आर्टिकल पर पहुँचाएगा। यहाँ आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इच्छानुसार सभी सूचना को प्राप्त कर सकेंगे। यदि आप अतिरिक्त वीकीपीडिया पेज को देखना चाहते हैं, तो अपना कीवर्ड लिखने के बाद आप “सर्च” पर क्लिक करें। आप एक पेज को देखते हैं जो दूसरे पेज का लिंक प्रदर्शित करता है। संबंधित पेज को देखने के लिए सामान्य रूप से लिंक पर क्लिक करें। इसलिए, वीकीपीडिया का उपयोग करके आप आसानी से किसी भी विषय के बारे में खोज कर सकते हैं।

ब्लॉग

ब्लॉग” टर्म “वेब लॉग” शब्दों का संक्षिप्त रूप है। वेबलॉग सामान्य जनता के उपयोग के लिए एक पत्रिका या न्यूज़लेटर होते हैं, जिनको लगातार अपडेट किया जाता है। ब्लॉग्स ने वेब को नया रूप दिया है, जिसके ज़रिए लाखों लोग अपनी आवाज़ दुनिया तक पहुँचा सकते हैं और अन्य लोगों से संपर्क बनाने में समर्थ होते हैं। किसी टिपिकल ब्लॉग में टेक्ट्स, इमेज, और अन्य ब्लॉग्स से लिंक, वेब पेज और अन्य संबंधित मीडिया का मिश्रण होता है। ज़्यादातर ब्लॉग में प्राथमिक रूप से टेक्ट्स होते हैं, यद्यपि कुछ में फ़ोटोग्राफ़ (फ़ोटोब्लॉग), वीडियो (वीलॉग), या ऑडियो (पोडकास्टिंग) भी होते हैं और वे सामाजिक मीडिया के एक बड़े नेटवर्क के भागों पर केन्द्रित होते हैं।
ब्लॉग के ज़रिए आप वेब पर अपनी आवाज़ उठा सकते हैं। यह वह स्थान है, जहाँ से आप अपने रूचिकर विषय को संग्रह और शेयर कर सकते हैं– चाहे वे आपके राजनैतिक विचार हों, व्यक्तिगत डायरी, या वेब साइट के वे लिंक, जिनको याद रखना चाहते हैं। ब्लॉग किसी विशेष विषय पर अपने विचार या समाचार भी प्रदान करते हैं, जैसे खाद्यान्न, राजनीति, या क्षेत्रीय सामाचार, और कुछ तो व्यक्तिगत ऑनलाइन डायरी के रूप में भी कार्य करते हैं। अक्सर पत्रकार ब्रेकिंग न्यूज़ को प्रकाशित करने के लिए ब्लॉग का उपयोग करते हैं, जबकि अन्य लोग अपने अंदरूनी विचारों को ब्लॉग्स के द्वारा प्रकाशित करते हैं।
ब्लॉग के तीन मुख्य फ़ीचर होते हैं। पहला, ये विपरीत कालक्रम के अनुसार तैयार होता है। इसका तात्पर्य है नवीनतम एंट्रीज़ सबसे ऊपर प्रदर्शित होती हैं। इसका दूसरा फ़ीचर है, शोधित-रहित विषय-सामग्री। आप अपने विचारों को किसी कानूनी या अन्य प्रकार की रुकावट के बिना दे सकते हैं। तीसरा फ़ीचर कमेंट्स है। ब्लॉग पर आप किसी भी चर्चित विषय या किसी बाहरी विषय पर कमेंट तैयार कर सकते हैं।

शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

है ना पेन ड्राइव कमाल की चीज।

पेन ड्राइव देखने में जितनी छोटी होती है काम में उतनी ही बड़ी होती है। आप पेन ड्राइव में जरूरत की फाइलें कभी भी, कहीं भी स्टोर कर इस्तेमाल कर सकते हैं। सिस्टम बूट करने के लिए भी पेन ड्राइव का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब यह जरूरी नहीं कि हर कंप्यूटर में वे सब प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर लोड हों जिन पर आप काम करते हैं। इसलिए इस समस्या का हल भी पेन ड्राइव में मौजूद होता है। अनेक प्रकार के कंप्यूटर एप्लीकेशन के लिए अब पेन ड्राइव बेहद जरूरी हो गया है, जो लोग कंप्यूटर पर काम करते हैं, उनके पास यदि पेन ड्राइव नहीं है तो समझिए कि वह आधे अधूरे हथियारों के साथ युद्ध के मैदान में हैं। अब आप अपने पेन ड्राइव में कई सॉफ्टवेयर भी रख सकते हैं। जिससे कि दूसरे के कंप्यूटर में काम करने पर आपको निराशा का दामन नहीं थामना होगा। अन्य के कंप्यूटर पर सॉफ्टवेयर नहीं होने का हल आपकी पेन ड्राइव भी बन सकती है। कई सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किए बिना केवल पेन ड्राइव के जरिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है। कंप्यूटर विशेषज्ञों के मुताबिक आजकल ऐसे प्रोग्राम तैयार किए जा रहे हैं जिन्हें इस्तेमाल करने के लिए कंप्यूटर में इंस्टॉल या लोड करने की जरूरत ही नहीं होगी। उनका कहना है कि असल में ये ऐसे प्रोग्राम होते हैं जिन्हें हार्ड डिस्क में लोड करने की जरूरत नहीं होती। ये पेन ड्राइव से सीधे कंप्यूटर की मैमोरी में लोड हो जाते हैं। इनकी यही खासियत है कि जो इन्हें अन्य सॉफ्टवेयर से अलग करती है। इन पोर्टेबल-सॉफ्टवेयर की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। पेन ड्राइव के लिए म्यूजिक प्लेयर, वेब-ब्राउजर, कंप्यूटर गेम, सिक्योरिटी-रिकवरी सॉफ्टवेयर, वर्ड प्रोसेफर, फोटो एडिटर जैसे अनेक सॉफ्टवेयर हैं। जिनको आपकी पेन ड्राइव बतौर सारथी के प्रयोग कर सकते हैं। आखिर है ना पेन ड्राइव कमाल की चीज।

इंटरनेट का इंद्रजाल

वक्त आ गया है कि इंटरनेट का सही इस्तेमाल कैसे हो, इस पर विश्लेषण किया जाए। इंटरनेट 40 साल का हो चुका है। सितंबर 1969 में लास एंजिल्स के कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में एक कम्प्यूटर ने दूसरे कम्प्यूटर को ई-मेल भेजा था। तब से लेकर आज तक इंटरनेट के विकास का दौर जारी है। अब तो मामला ई-मेल से काफी आगे बढ़कर चैटिंग और सोशल नेटवर्किंग साइट्स तक पहुँच चुका है। इंटरनेट के वर्चुअल स्पेस पर एकाधिकार की होड़, विज्ञापनदाताओं को ज्यादा से ज्यादा आकर्षित करने की चाह और ऑनलाइन बाजार में खुद को सबसे बेहतर साबित करने की मशक्कत भी दिखने लगी है, लेकिन लगने लगा है कि इंटरनेट का उद्देश्य धूमिल होता जा रहा है। लोग इसे जरूरत की विषयवस्तु समझने की बजाय शगल यंत्र समझने लगे हैं। हालाँकि इसमें शक नहीं है कि इंटरनेट सूचना क्रांति का सबसे सशक्त माध्यम है। यहाँ नई-नई जानकारियाँ हैं और दुर्लभ वीडियो फुटेज भी। बावजूद इसके पोर्नोग्राफी के ढेरों फुटेज भी यहाँ मिल जाते हैं। 'गाँधीयन थाट्स' या 'मार्क्ससिस्ट थ्योरी' को गूगल के सर्च इंजन में डालने पर करीब हजार लिंक दिखते हैं। इसके जरिए हजारों वेब पन्नों तक पहुँचा जा सकता है, लेकिन सर्च इंजन में पोर्न या सेक्स शब्द डालने पर लाखों लिंक दिखने शुरू हो जाते हैं और इससे कहीं ज्यादा वेब पन्नो। हालाँकि सर्च इंजन में आपको 'सेक्स' या 'पोर्न' का मतलब कम ही मिलेगा। एक आकलन के मुताबिक जिस वक्त गूगल के सर्च इंजन में आपने पोर्न या सेक्स टाइप किया था, उसी वक्त 372 और लोग भी यही काम कर रहे थे। इससे साफ होता है कि इंटरनेट पर सेक्स-पोर्न का वर्चुअल रूप कितना बिकाऊ हो गया है।वैसे सेक्स-पोर्न के वर्चुअल बाजार के खिलाफ कुछ कंपनियाँ इकट्ठी हो रही हैं। हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट और याहू के करार के तहत याहू अपनी वेबसाइट्स पर माइक्रोसॉफ्ट के नए सर्च इंजन बिग डॉट का इस्तेमाल करेगा, जहाँ सेक्स संबंधी सर्च संभव नहीं होगा, लेकिन अभी और भी कंपनियों को आगे आना होगा, वहीं दूसरी ओर दुनिया भर के मुल्कों को इंटरनेट पर बढ़ती अश्लील सामग्री के खिलाफ कानून बनाने होंगे और जागरूकता अभियान भी चलाने होंगे।

कम्प्यूटर और आपकी सेहत

आजकल हमें अक्सर कम्प्यूटर के ज़रिए बढ़ रहे अपराधों के बारे में समाचार मिलते रहते हैं। हमारे कम्प्यूटर की सुरक्षा के लिए हम बहुत से पुख्ता इंतज़ाम कर लेते हैं जैसे फायरवॉल की सेटिंग बदलना या फिर ऐंटी वायरस बदलना आदि। लेकिन क्या यह विचार कभी हमारे मन में आया है कि हमारे इतने घंटे कम्प्यूटर पर काम करने का कुछ दुष्परिणाम हमारी सेहत पर भी पड़ सकता है।जो लोग ज़्यादा वक्त कम्प्यूटर के सामने बिताते हैं वे अक्सर ही कई तरह की परेशानियों का सामना करते हैं जैसे पीठदर्द, आँखों में दर्द या फिर जो लोग की-बोर्ड का अधिक उपयोग करते हैं उन्हें हाथों में दर्द और नसों की अकड़न की परेशानी होना आम बात है। इन परेशानियों का लगभग सभी मामूली मान कर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन आगे जाकर यही मामूली दर्द एक बड़ी बीमारी का रूप ले लेता है।इस बीमारी को रिपिटेटिव स्ट्रेस सिंड्रोम कहा जाता है। इस सिंड्रोम में टेंडोनाइटिस और कार्पल टनल सिंड्रोम शामिल हैं।यह सिंड्रोम माँसपेशियों, नसों और जोड़ों के ठीक से काम ना कर पाने की वजह से होता है।टेंडोनाइटिस सिंड्रोम में टेंडन्स पर लगातार ज़ोर पड़ने की वजह से वे जल जाते हैं। कार्पल टनल सिंड्रोम में उन नसों पर असर पड़ता है जो हथेली को उंगलियों से जोड़ती है।अभी तक वैज्ञानिक तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं हुई है की कम्प्यूटर से उत्पन्न होने वाले रेडियेशन से त्वचा संबंधी या प्रेगनेन्सी संबंधी कोई परेशानी हो सकती है लेकिन फिर भी सावधानी रखना इलाज कराने से बेहतर ही माना जाता है।इस सिंड्रोम से मात्र कुछ सावधानियाँ बरतने से बचा जा सकता है।

सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि आपके काम करने की जगह आरामदायक हो। अपने कम्प्यूटर के मॉनिटर को इस तरह रखें कि आपकी आँख से उसकी दूरी आधे हाथ के बराबर हो। की-बोर्ड ऑपरेटर जहाँ तक हो ऐसा की-बोर्ड उपयोग करें जिसमें कलाई को आराम देने वाला पैड लगा हुआ हो।
माउस को ऐसी जगह पर रखें जहाँ से उसका ज़्यादा उपयोग आराम से किया जा सके और आपके कंधे और हाथों में कोई परेशानी ना हो।अपने बैठने के तरीके पर ध्यान दें।ज़्यादा देर तक एक ही जगह पर ना बैठें।स्क्रीन पर आँखें गड़ा कर देखना भी आँखों कें लिए हानिकारक हो सकता है। इससे आप कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम से ग्रसित हो सकते हैं।कोशिश करें कि हर एक घंटे में थोड़ा ब्रेक लें।इन छोटी-छोटी सावधानियों को अपनाकर हम अनचाहे दर्द और थकान से मुक्ति पा सकते हैं।
बचाव के उपाय :* यदि कंप्यूटर का मॉनीटर ब्लिंक कर रहा हो तो उस पर काम करने का खतरा मत उठाइए।* अपने बैठने के तरीके को सुधारें। जितनी देर हो सके कमर को सीधा रखकर बैठने की कोशिश करें। * हर दो-तीन घंटे में कम्प्यूटर स्क्रीन के सामने से हटकर थोड़ी चहलकदमी कर लें। * गर्दन को हल्के-हल्के बार दाएँ-बाएँ घुमाएँ। * आँखों के व्यायाम नियमित रूप से करें। * हर घंटे कुर्सी से उठकर शरीर को सीधा रखकर टहल लें या फिर बैठे-बैठे ही पैरों व हाथों को लंबा रखकर पाँच मिनट व्यायाम करें। * बैठते समय आपके पैर जमीन को ही छुएँ इतनी ऊँचाई पर ही बैठे।* पीठ को पीछे की ओर झुकाते हुए बैठें, न कि आगे की ओर। यदि फर्नीचर से कोई तकलीफ हो तो उसे तुरंत बदल डालें। * बैठे-बैठे गर्दन को आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ करने वाला व्यायाम करें। * बैठी हुई पोजिशन में ही कंधों, हाथों, पीठ, घुटनों, पैरों, कलाइयों आदि के व्यायाम करें। * सीधे बैठकर पैरों को लंबा करें, फिर घड़ी की सीधी और उलटी दिशा में धीरे-धीरे घुमाएँ। * हमेशा कम्प्यूटर से कुछ दूरी बनाकर काम करें।* अपने कम्प्यूटर की स्क्रीन को भी लगातार साफ करते रहें। * अगर आप लंबे समय तक कम्प्यूटर की स्क्रीन के समाने बैठकर थक गए है तो कुछ देर बाहर ताजी हवा में घूम लें। तो जब भी आप कम्प्यूटर पर काम करें। इन बातों का खास खयाल रखें। ताकि अगर आप लंबे समय तक भी कम्प्यूटर पर काम करेंगे तो आपको कोई परेशानी नहीं होगी।