गुरुवार, 19 नवंबर 2009

यू ट्यूब

यू ट्यूब ऐसी वेबसाइट है जो पब्लिशिंग यूज़र-पोस्टेड वीडियो क्लिप में विशेषज्ञ होती है। यह इंटरनेट पर सबसे लोकप्रिय दस वेबसाइटों में से एक है। इस साइट को देखने वाले सबसे अधिक टीनएजर और युवा-वयस्क होते हैं। इसका स्लोगन “ब्रॉडकास्ट योरसेल्फ़” है, इसका अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छानुसार ब्रॉडकास्ट के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते इसे कुत्सित भावना से नहीं किया गया हो। इसकी शुरूआत 2005 में हुई, जिसे बाद में गूगल द्वारा खरीदा गया। इसे www.youtube.com पर प्राप्त किया जा सकता है। यद्यपि, इसमें अधिकांश वीडियो वास्तविक ग़ैर-व्यावसायिक वीडियो होते हैं, लेकिन अब कुछ प्रचारक और मीडिया प्रोड्यूसरों द्वारा इसमें व्यावसायिक विषय-वस्तु भी प्रदान की जा रही है। अनेक लोग नाच-गाने, वीडियो रिज्यूम पोस्ट करने के द्वारा, और अन्य क्रिएटिव तरीकों से सेलीब्रिटि स्टेटस तक पहुँचने के लिए यू ट्यूब का उपयोग करते हैं। इसमें मौजूद अनेक वीडियो को ब्राउज़ करना और इसमें अपने स्वयं के वीडियो को अपलोड करना भी बहुत आसान है। यू ट्यूब का आधारभूत आकर्षण इसकी सरलता और सार्वभौमिक पहुँच है। अनेक अन्य वीडियो शेयरिंग साइट भी हैं लेकिन इनमें से कोई भी यू ट्यूब के सांस्कृतिक प्रभाव और अति विशाल सामग्री के बराबर नहीं। बिना रजिस्टर किए हुए यूज़र साइट पर वीडियो को देख सकते हैं, जबकि रजिस्टर यूज़र्स असीमित संख्या में वीडियो को अपलोड कर सकते हैं। यू ट्यूब में यूज़र को अपने कंप्यूटर पर वीडियो डाउनलोड के लिए हतोत्साहित किया जाता है, और प्रयास किया जाता है कि लोग ऑनलाइन ही वीडियो को देखें। अन्य सोशल-नेटवर्किंग साइट की तरह, यू ट्यूब भी कुछ संवेदनशील राजनैतिक और व्यक्तिगत विषयों से संबंधित विरोधाभासों पर केन्द्रित होता है। इसके कारण, कुछ देशों में इस साइट पर रोक लगी हुई है।

वीकीपीडिया

“वीकीपीडिया”, इंटरनेट पर सबसे अधिक लोकप्रिय रिफ्ररेन्स साइट है। यह पूरे विश्व के लेखकों द्वारा लिखा गया वेब-आधारित मुफ़्त मल्टीलिंग्वल इनसाइक्लोपीडिया है। ऑनलाइन समुदाय के लोगों के मिश्रित प्रयासों के फलस्वरूप इस उच्च-गुणवत्ता वाले इनसाइक्लोपीडिया का निर्माण हुआ है। यह विभिन्न विषयों और समान्य जानकारी को तेज़ी से समझने की सुविधा प्रदान करता है। इसमें वीकीमीडिया फ़ाउंडेशन द्वारा संचालित 195 स्वतंत्र भाषाओं के संकलन शामिल हैं। सन् 2001 में तैयार वीकीपीडिया आज सबसे बड़ी रिफ़रेन्स वेबसाइट के रूप में तेज़ी से विकसित हो चुकी है। यह विशेष प्रकार का वेबसाइट है, जिसे “विकी” कहा जाता है। इसमें कोई भी व्यक्ति आर्टिकल को जोड़ और एडिट कर सकता है। अनेक लोग वीकीपीडिया की विषय-सामग्री को लगातार बढ़ा रहे हैं। विषय-सूची की सावधानीपूर्वक समीक्षा की जाती है और अनुचित बदलाव को हटाया जा सकता है। लगातार ग़लत एडिटिंग करने वालों को ब्लॉक किया जा सकता है। वीकीपीडिया के एडिटिंग नियमों के अर्न्तगत सूचना को जोड़ने के लिए हर किसी का स्वागत है। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी आर्टिकल के लिए सूचना को जोड़ते है, तो आपको उसके उचित रिफ़रेन्स को शामिल करना ज़रूरी होता है। यह इनसाइक्लोपीडिया www.wikipedia.com पर प्राप्त किया जा सकता है। मुख्य पेज पर जाने के लिए अपनी इच्छानुसार भाषा को सेलेक्ट करें। अब “इंगलिश” पर क्लिक करें। स्क्रीन के बाँयी तरफ़, दो बटन “गो” और “सर्च” के साथ आप एक “सर्च” बॉक्स को देख सकते हैं। अब महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन से संबंधित सूचना को देखते है। बॉक्स में “आइंस्टीन” को टाइप करें, और एंटर प्रेस करें या “गो” पर क्लिक करें। यह आपको सीधा वीकीपीडिया में टाइप किए गए कीवर्ड से संबंधित आर्टिकल पर पहुँचाएगा। यहाँ आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इच्छानुसार सभी सूचना को प्राप्त कर सकेंगे। यदि आप अतिरिक्त वीकीपीडिया पेज को देखना चाहते हैं, तो अपना कीवर्ड लिखने के बाद आप “सर्च” पर क्लिक करें। आप एक पेज को देखते हैं जो दूसरे पेज का लिंक प्रदर्शित करता है। संबंधित पेज को देखने के लिए सामान्य रूप से लिंक पर क्लिक करें। इसलिए, वीकीपीडिया का उपयोग करके आप आसानी से किसी भी विषय के बारे में खोज कर सकते हैं।

ब्लॉग

ब्लॉग” टर्म “वेब लॉग” शब्दों का संक्षिप्त रूप है। वेबलॉग सामान्य जनता के उपयोग के लिए एक पत्रिका या न्यूज़लेटर होते हैं, जिनको लगातार अपडेट किया जाता है। ब्लॉग्स ने वेब को नया रूप दिया है, जिसके ज़रिए लाखों लोग अपनी आवाज़ दुनिया तक पहुँचा सकते हैं और अन्य लोगों से संपर्क बनाने में समर्थ होते हैं। किसी टिपिकल ब्लॉग में टेक्ट्स, इमेज, और अन्य ब्लॉग्स से लिंक, वेब पेज और अन्य संबंधित मीडिया का मिश्रण होता है। ज़्यादातर ब्लॉग में प्राथमिक रूप से टेक्ट्स होते हैं, यद्यपि कुछ में फ़ोटोग्राफ़ (फ़ोटोब्लॉग), वीडियो (वीलॉग), या ऑडियो (पोडकास्टिंग) भी होते हैं और वे सामाजिक मीडिया के एक बड़े नेटवर्क के भागों पर केन्द्रित होते हैं।
ब्लॉग के ज़रिए आप वेब पर अपनी आवाज़ उठा सकते हैं। यह वह स्थान है, जहाँ से आप अपने रूचिकर विषय को संग्रह और शेयर कर सकते हैं– चाहे वे आपके राजनैतिक विचार हों, व्यक्तिगत डायरी, या वेब साइट के वे लिंक, जिनको याद रखना चाहते हैं। ब्लॉग किसी विशेष विषय पर अपने विचार या समाचार भी प्रदान करते हैं, जैसे खाद्यान्न, राजनीति, या क्षेत्रीय सामाचार, और कुछ तो व्यक्तिगत ऑनलाइन डायरी के रूप में भी कार्य करते हैं। अक्सर पत्रकार ब्रेकिंग न्यूज़ को प्रकाशित करने के लिए ब्लॉग का उपयोग करते हैं, जबकि अन्य लोग अपने अंदरूनी विचारों को ब्लॉग्स के द्वारा प्रकाशित करते हैं।
ब्लॉग के तीन मुख्य फ़ीचर होते हैं। पहला, ये विपरीत कालक्रम के अनुसार तैयार होता है। इसका तात्पर्य है नवीनतम एंट्रीज़ सबसे ऊपर प्रदर्शित होती हैं। इसका दूसरा फ़ीचर है, शोधित-रहित विषय-सामग्री। आप अपने विचारों को किसी कानूनी या अन्य प्रकार की रुकावट के बिना दे सकते हैं। तीसरा फ़ीचर कमेंट्स है। ब्लॉग पर आप किसी भी चर्चित विषय या किसी बाहरी विषय पर कमेंट तैयार कर सकते हैं।

शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

है ना पेन ड्राइव कमाल की चीज।

पेन ड्राइव देखने में जितनी छोटी होती है काम में उतनी ही बड़ी होती है। आप पेन ड्राइव में जरूरत की फाइलें कभी भी, कहीं भी स्टोर कर इस्तेमाल कर सकते हैं। सिस्टम बूट करने के लिए भी पेन ड्राइव का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब यह जरूरी नहीं कि हर कंप्यूटर में वे सब प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर लोड हों जिन पर आप काम करते हैं। इसलिए इस समस्या का हल भी पेन ड्राइव में मौजूद होता है। अनेक प्रकार के कंप्यूटर एप्लीकेशन के लिए अब पेन ड्राइव बेहद जरूरी हो गया है, जो लोग कंप्यूटर पर काम करते हैं, उनके पास यदि पेन ड्राइव नहीं है तो समझिए कि वह आधे अधूरे हथियारों के साथ युद्ध के मैदान में हैं। अब आप अपने पेन ड्राइव में कई सॉफ्टवेयर भी रख सकते हैं। जिससे कि दूसरे के कंप्यूटर में काम करने पर आपको निराशा का दामन नहीं थामना होगा। अन्य के कंप्यूटर पर सॉफ्टवेयर नहीं होने का हल आपकी पेन ड्राइव भी बन सकती है। कई सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किए बिना केवल पेन ड्राइव के जरिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है। कंप्यूटर विशेषज्ञों के मुताबिक आजकल ऐसे प्रोग्राम तैयार किए जा रहे हैं जिन्हें इस्तेमाल करने के लिए कंप्यूटर में इंस्टॉल या लोड करने की जरूरत ही नहीं होगी। उनका कहना है कि असल में ये ऐसे प्रोग्राम होते हैं जिन्हें हार्ड डिस्क में लोड करने की जरूरत नहीं होती। ये पेन ड्राइव से सीधे कंप्यूटर की मैमोरी में लोड हो जाते हैं। इनकी यही खासियत है कि जो इन्हें अन्य सॉफ्टवेयर से अलग करती है। इन पोर्टेबल-सॉफ्टवेयर की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। पेन ड्राइव के लिए म्यूजिक प्लेयर, वेब-ब्राउजर, कंप्यूटर गेम, सिक्योरिटी-रिकवरी सॉफ्टवेयर, वर्ड प्रोसेफर, फोटो एडिटर जैसे अनेक सॉफ्टवेयर हैं। जिनको आपकी पेन ड्राइव बतौर सारथी के प्रयोग कर सकते हैं। आखिर है ना पेन ड्राइव कमाल की चीज।

इंटरनेट का इंद्रजाल

वक्त आ गया है कि इंटरनेट का सही इस्तेमाल कैसे हो, इस पर विश्लेषण किया जाए। इंटरनेट 40 साल का हो चुका है। सितंबर 1969 में लास एंजिल्स के कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में एक कम्प्यूटर ने दूसरे कम्प्यूटर को ई-मेल भेजा था। तब से लेकर आज तक इंटरनेट के विकास का दौर जारी है। अब तो मामला ई-मेल से काफी आगे बढ़कर चैटिंग और सोशल नेटवर्किंग साइट्स तक पहुँच चुका है। इंटरनेट के वर्चुअल स्पेस पर एकाधिकार की होड़, विज्ञापनदाताओं को ज्यादा से ज्यादा आकर्षित करने की चाह और ऑनलाइन बाजार में खुद को सबसे बेहतर साबित करने की मशक्कत भी दिखने लगी है, लेकिन लगने लगा है कि इंटरनेट का उद्देश्य धूमिल होता जा रहा है। लोग इसे जरूरत की विषयवस्तु समझने की बजाय शगल यंत्र समझने लगे हैं। हालाँकि इसमें शक नहीं है कि इंटरनेट सूचना क्रांति का सबसे सशक्त माध्यम है। यहाँ नई-नई जानकारियाँ हैं और दुर्लभ वीडियो फुटेज भी। बावजूद इसके पोर्नोग्राफी के ढेरों फुटेज भी यहाँ मिल जाते हैं। 'गाँधीयन थाट्स' या 'मार्क्ससिस्ट थ्योरी' को गूगल के सर्च इंजन में डालने पर करीब हजार लिंक दिखते हैं। इसके जरिए हजारों वेब पन्नों तक पहुँचा जा सकता है, लेकिन सर्च इंजन में पोर्न या सेक्स शब्द डालने पर लाखों लिंक दिखने शुरू हो जाते हैं और इससे कहीं ज्यादा वेब पन्नो। हालाँकि सर्च इंजन में आपको 'सेक्स' या 'पोर्न' का मतलब कम ही मिलेगा। एक आकलन के मुताबिक जिस वक्त गूगल के सर्च इंजन में आपने पोर्न या सेक्स टाइप किया था, उसी वक्त 372 और लोग भी यही काम कर रहे थे। इससे साफ होता है कि इंटरनेट पर सेक्स-पोर्न का वर्चुअल रूप कितना बिकाऊ हो गया है।वैसे सेक्स-पोर्न के वर्चुअल बाजार के खिलाफ कुछ कंपनियाँ इकट्ठी हो रही हैं। हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट और याहू के करार के तहत याहू अपनी वेबसाइट्स पर माइक्रोसॉफ्ट के नए सर्च इंजन बिग डॉट का इस्तेमाल करेगा, जहाँ सेक्स संबंधी सर्च संभव नहीं होगा, लेकिन अभी और भी कंपनियों को आगे आना होगा, वहीं दूसरी ओर दुनिया भर के मुल्कों को इंटरनेट पर बढ़ती अश्लील सामग्री के खिलाफ कानून बनाने होंगे और जागरूकता अभियान भी चलाने होंगे।

कम्प्यूटर और आपकी सेहत

आजकल हमें अक्सर कम्प्यूटर के ज़रिए बढ़ रहे अपराधों के बारे में समाचार मिलते रहते हैं। हमारे कम्प्यूटर की सुरक्षा के लिए हम बहुत से पुख्ता इंतज़ाम कर लेते हैं जैसे फायरवॉल की सेटिंग बदलना या फिर ऐंटी वायरस बदलना आदि। लेकिन क्या यह विचार कभी हमारे मन में आया है कि हमारे इतने घंटे कम्प्यूटर पर काम करने का कुछ दुष्परिणाम हमारी सेहत पर भी पड़ सकता है।जो लोग ज़्यादा वक्त कम्प्यूटर के सामने बिताते हैं वे अक्सर ही कई तरह की परेशानियों का सामना करते हैं जैसे पीठदर्द, आँखों में दर्द या फिर जो लोग की-बोर्ड का अधिक उपयोग करते हैं उन्हें हाथों में दर्द और नसों की अकड़न की परेशानी होना आम बात है। इन परेशानियों का लगभग सभी मामूली मान कर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन आगे जाकर यही मामूली दर्द एक बड़ी बीमारी का रूप ले लेता है।इस बीमारी को रिपिटेटिव स्ट्रेस सिंड्रोम कहा जाता है। इस सिंड्रोम में टेंडोनाइटिस और कार्पल टनल सिंड्रोम शामिल हैं।यह सिंड्रोम माँसपेशियों, नसों और जोड़ों के ठीक से काम ना कर पाने की वजह से होता है।टेंडोनाइटिस सिंड्रोम में टेंडन्स पर लगातार ज़ोर पड़ने की वजह से वे जल जाते हैं। कार्पल टनल सिंड्रोम में उन नसों पर असर पड़ता है जो हथेली को उंगलियों से जोड़ती है।अभी तक वैज्ञानिक तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं हुई है की कम्प्यूटर से उत्पन्न होने वाले रेडियेशन से त्वचा संबंधी या प्रेगनेन्सी संबंधी कोई परेशानी हो सकती है लेकिन फिर भी सावधानी रखना इलाज कराने से बेहतर ही माना जाता है।इस सिंड्रोम से मात्र कुछ सावधानियाँ बरतने से बचा जा सकता है।

सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि आपके काम करने की जगह आरामदायक हो। अपने कम्प्यूटर के मॉनिटर को इस तरह रखें कि आपकी आँख से उसकी दूरी आधे हाथ के बराबर हो। की-बोर्ड ऑपरेटर जहाँ तक हो ऐसा की-बोर्ड उपयोग करें जिसमें कलाई को आराम देने वाला पैड लगा हुआ हो।
माउस को ऐसी जगह पर रखें जहाँ से उसका ज़्यादा उपयोग आराम से किया जा सके और आपके कंधे और हाथों में कोई परेशानी ना हो।अपने बैठने के तरीके पर ध्यान दें।ज़्यादा देर तक एक ही जगह पर ना बैठें।स्क्रीन पर आँखें गड़ा कर देखना भी आँखों कें लिए हानिकारक हो सकता है। इससे आप कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम से ग्रसित हो सकते हैं।कोशिश करें कि हर एक घंटे में थोड़ा ब्रेक लें।इन छोटी-छोटी सावधानियों को अपनाकर हम अनचाहे दर्द और थकान से मुक्ति पा सकते हैं।
बचाव के उपाय :* यदि कंप्यूटर का मॉनीटर ब्लिंक कर रहा हो तो उस पर काम करने का खतरा मत उठाइए।* अपने बैठने के तरीके को सुधारें। जितनी देर हो सके कमर को सीधा रखकर बैठने की कोशिश करें। * हर दो-तीन घंटे में कम्प्यूटर स्क्रीन के सामने से हटकर थोड़ी चहलकदमी कर लें। * गर्दन को हल्के-हल्के बार दाएँ-बाएँ घुमाएँ। * आँखों के व्यायाम नियमित रूप से करें। * हर घंटे कुर्सी से उठकर शरीर को सीधा रखकर टहल लें या फिर बैठे-बैठे ही पैरों व हाथों को लंबा रखकर पाँच मिनट व्यायाम करें। * बैठते समय आपके पैर जमीन को ही छुएँ इतनी ऊँचाई पर ही बैठे।* पीठ को पीछे की ओर झुकाते हुए बैठें, न कि आगे की ओर। यदि फर्नीचर से कोई तकलीफ हो तो उसे तुरंत बदल डालें। * बैठे-बैठे गर्दन को आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ करने वाला व्यायाम करें। * बैठी हुई पोजिशन में ही कंधों, हाथों, पीठ, घुटनों, पैरों, कलाइयों आदि के व्यायाम करें। * सीधे बैठकर पैरों को लंबा करें, फिर घड़ी की सीधी और उलटी दिशा में धीरे-धीरे घुमाएँ। * हमेशा कम्प्यूटर से कुछ दूरी बनाकर काम करें।* अपने कम्प्यूटर की स्क्रीन को भी लगातार साफ करते रहें। * अगर आप लंबे समय तक कम्प्यूटर की स्क्रीन के समाने बैठकर थक गए है तो कुछ देर बाहर ताजी हवा में घूम लें। तो जब भी आप कम्प्यूटर पर काम करें। इन बातों का खास खयाल रखें। ताकि अगर आप लंबे समय तक भी कम्प्यूटर पर काम करेंगे तो आपको कोई परेशानी नहीं होगी।

गूगल का लोगो है खास


गूगल इंक. ने इंटरनेट की दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बनाया है। यह मुकाम उसने अपनी रचनात्मकता के बूते बनाया है। गूगल के पास रचनाशील युवाओं की पूरी एक फौज है जो उसे दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्की करने में मदद करती है। गूगल के जनक लैरी पेज और सर्जेई ब्रिन खुद भी युवा हैं, रचनाशील हैं और उन्होंने अपने जैसे ही युवाओं की एक टीम भी बना रखी है। गूगल की रचनात्मकता उसके "लोगो" से भी यदा-कदा झलकती रहती है। आपने गूगल का लोगो जरूर देखा होगा। यह लोगो विश्व में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला लोगो है जिसे हम अमूमन रोज ही गूगल के सर्च इंजन का उपयोग करते समय देखते हैं। कई बार आपने ध्यान दिया होगा कि गूगल के मूल लोगो के साथ कई प्रयोग किए जाते हैं। मसलन किसी महापुरुष के जन्मदिन पर, नववर्ष पर, क्रिसमस पर या अन्य किसी अंतरराष्ट्रीय विशेष दिवस जैसे मदर्स डे, फादर्स डे, वर्ल्ड एनवायरमेंट डे या वैलेनटाइन्स डे पर। ऐसे समय में बनाए जाने वाले विशेष लोगो को गूगल "हॉलीडे लोगो" या "डूडल" कहता है। इसे हमने कई बार देखा है, आपसी बातचीत में उसकी तारीफ भी की है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह चमत्कारी डूडल बनाता कौन है। तो जानिए गूगल के डूडलर के बारे में..।गूगल की प्रतिभाशाली नौजवानों की टीम के एक सदस्य डेनिस ह्वांग ही गूगल के असली डूडलर हैं। दक्षिण कोरियाई मूल के ह्वांग सिर्फ 31 वर्ष के हैं। उनका जन्म 1978 में अमेरिका के टेनेसी प्रांत में हुआ और वे सन्‌ 2000 से गूगल के साथ जुड़े हुए हैं और ये अनोखे डूडल बना रहे हैं। ह्वांग ने कैलीफोर्निया के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय से कम्प्यूटर साइंस में स्नातक किया और उसी समय गूगल के साथ इंटर्नशिप भी की। बाद में गूगल इंक. में ही वे वैबमास्टर बन गए। अब वैबमास्टर ह्वांग गूगल के लिए सालभर में तकरीबन 50 ऐसे डूडल बनाते हैं। ये डूडल कुछ खास दिनों के लिए बनाए जाते हैं जो उस दिन संसार भर में गूगल के लोगो की जगह आपकी-हमारी कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखाई देते हैं। हालाँकि गूगल के लिए पहला डूडल तो खुद गूगल के जनक लैरी पेज और सर्जेई ब्रिन ने ही बनाया था लेकिन बाद में उन्होंने यह काम ह्वांग को सौंप दिया। 14 जुलाई 2000 को ह्वांग ने बेस्टाईल डे (फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस) पर पहला डूडल बनाया। वो इतना हिट हुआ कि पेज और ब्रिन ने ह्वांग को ही स्थाई डूडलर नियुक्त कर दिया। हाल ही में उसने दो अक्टूबर को गाँधीजी को लेकर गूगल का लोगो बनाया था। हाल ही में गूगल ने विभिन्न देशों के बच्चों के बीच एक प्रतियोगिता भी आयोजित कराई थी जिसमें डूडलर खोजा जाना था। इसमें जो बच्चा गूगल का सर्वश्रेष्ठ डूडल बनाकर देगा उसे एक लैपटॉप और उसके स्कूल को कई हजार डॉलर की स्कॉलरशिप मिलनी थी। अमेरिका में यह प्रतियोगिता क्रिस्टीन एनजिलबर्थ ने जीती जिसे 15 हजार डॉलर की कॉलेज स्कॉलरशिप तथा एक लैपटॉप मिला, जबकि उसके स्कूल को 25 हजार डॉलर की टैक्नोलॉजी ग्रांट मिली। भारत में इस प्रतियोगिता के विजेता की घोषणा होना अभी बाकी है क्योंकि प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम तिथि 30 सितंबर थी। इसमें विजेता बच्चे के लिए एक लैपटॉप तथा एक लाख रुपए का इनाम रखा गया है। विजेता बच्चों के देश में एक विशेष दिन गूगल उनके बनाए गए डूडल का प्रदर्शन करेगा जिसे करोड़ों लोग अपनी कम्प्यूटर स्क्रीन पर देख सकेंगे। तो आप जब भी गूगल के अनोखे डूडल देखें तो यह जरूर याद रखें कि इन्हें सिर्फ 31 वर्ष का एक युवा बना रहा है।

सोमवार, 9 नवंबर 2009

विकीपीडिया ने लगाई स्वयं सेंसरशिप

लोकप्रिय ज्ञानकोष विकीपीडिया की संचालक संस्था विकीमीडिया फाउंडेशन ने अपने नियमों में कुछ बदलाव किए हैं. अब अंग्रेजी विकीपीडिया पर व्यक्ति संबंधित पन्नों पर आम जनता द्वारा किए गए बदलाव तुरंत प्रभाव से दिखाई नहीं देंगे.
उदाहरण के लिए यदि आप किसी नेता या गणमान्य व्यक्ति से संबंधित पन्ने पर बदलाव करेंगे तो वह तुरंत प्रभाव से दिखाई नहीं देगा. उस सम्पादित पन्ने को पहले विकीपीडिया द्वारा नियुक्त स्वयंसेवी वरिष्ठ सम्पादक देखेगा और यदि उसे लगेगा कि सम्पादित जानकारी सही है तो ही वह आम जनता के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा.
अब से जब भी किसी पन्ने पर बदलाव किया जाएगा तो उसे फ्लेग कर लिया जाएगा और वह विकी के सर्वर पर संग्रहित हो जाएगा लेकिन आम लोगों को पुराना पन्ना ही दिखेगा और नया पन्ना तभी उपलब्ध होगा जब कोई वरिष्ठ सम्पादक तथ्यों में बदलाव की जाँच कर लेगा.

विकीपीडिया आज दुनिया का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला ज्ञानकोष है. केवल अमेरिका में ही प्रति माह 7 करोड़ लोग विकी का इस्तेमाल करते हैं. जब किसी गणमान्य व्यक्ति का निधन हो जाता है तो विकीपीडिया पर मौजूद उसके पन्ने पर बाढ सी आ जाती है. पिछले दिनों जब माइकल जैक्सन का निधन हुआ था तो विकीपीडिया के उनके पन्ने को पहले एक घंटें में ही 20 लाख लोगों ने देखा था. इसलिए यह जरूरी है कि गणमान्य व्यक्तियों से संबंधित पन्नों में दर्ज जानकारी एकदम सही हो.

सामान्य शिष्टाचार : ब्लॉग लिखते समय

तरकश टीम ने सामान्य शिष्टाचार श्रेणी के अंतर्गत चिट्ठा लिखने के दौरान किन शिष्टाचारों का प्रयोग करना चाहिए उसको लेकर अध्ययन किया और उनका विश्लेषण निम्नलिखित है.दो बार सोचिए क्या लिख रहे हैं : आप जो लिख रहे हैं, वह दुनिया भर में पढा जाने वाला है. आपका चिट्ठा आपकी निजी डायरी नहीं है, बल्कि एक खुला पन्ना है जो सारी दुनिया तक आपके विचार पहुँचा रहा है. तो अपनी प्र विष्टी लिखने के बाद उसे दो बार पढिए कि आपने क्या लिखा है, और उसके क्या परिणाम हो सकते हैं. आपका आज का लिखा कुछ भी कल, परसों या फिर कई सालों बाद संदर्भ के लिए लिया जा सकता है. तो लिखते समय ध्यान रखें कि जो लिख रहे हैं वह संज्ञान मे लिया जा रहा है. अपने लेखन की ज़िम्मेदारी लीजिए: आप जो लिखेंगे उसके उपर से लोग आपको परखेंगे. वे हमेशा आपकी तारीफ ही नही करेंगे परंतु कटाक्ष भी करेंगे और असहमति भी दर्शाएंगे. तो आप तैयार रहिए, किसी भी अनपेक्षित टिप्पणी के लिए. उसे पढिए और उचित जवाब दीजिए. लेकिन अशिष्टता से नहीं. विश्वसनीय लिखिए: आपके चिट्ठे को लोग आपकी विश्वसनीयता से परखेंगे और पढेंगे. इसलिए हमेशा ईमानदारी से लिखिए और वही लिखिए जो वास्तविक हो मनगढ़ंत ना हो. आप जो भी लिख रहे हैं, वह एकदम सच होना चाहिए, क्योंकि झूठ एक बार चल सकता है पर फिर लोग आपकी विश्वसनीयता पर शक करने लगेंगे और आप अपना पाठक वर्ग खो देंगे. शुद्ध लिखिए: जहाँ तक हो सके अपनी भाषा और व्याकरण का ध्यान रखिए. यह सही है कि यह आपका निजी ब्लॉग है और आप स्वतंत्र है चाहे जिस भाषा में लिखें, लेकिन यह भी सच है कि आप निजी डायरी ना लिख कर ब्लॉग लिख रहे हैं और चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग उसे पढें. तो आपकी भाषा और व्याकरण एक दम शुद्ध रखने का प्रयास करना चाहिए. यह सही है कि एकदम शुद्ध कोई नही लिखता, लेकिन हम अधिक से अधिक शुद्ध लिखने का प्रयास तो कर ही सकते हैं. यदि कोई गलती हुई तो यथासम्भव शीघ्र उसे सुधारना चाहिए. लोगों की राय को स्वीकार करना चाहिए. अपने विचार लिखिए: सिर्फ समाचार मत परोसिए, परन्तु अपनी अमूल्य राय भी दीजिए. याद रखिए आज दुनिया में असंख्य संजाल है जो लगातार समाचार परोस रहे हैं, इसलिए आप जो समाचार लेकर आएँगे, आपके पाठक उसे पहले ही पढ चुके होंगे. तो समाचारों को घटनाओं के बारे में जानकारी देने की बजाय उसका विश्लेषण करना अधिक ठीक रहता है. संदर्भ दें तो लिंक भी दें: यदि आप कोई संदर्भ दे रहे हैं या कोई घटना के बारे में बता रहे हैं तो कोशिश कीजिए कि आपने जहाँ से उसे पढ़ा है उसका लिंक भी साथ में थे. ऐसा करने पर आप आपके समाचार प्रदाता के साथ न्याय करेंगे साथ ही साथ आपकी विश्वसनीयता भी बढ़ेगी. किसी के विचार प्रदर्शित करने से पहले अनुमति लें: यदि आप किसी के ब्लॉग पर पहले से लिखी हुई कोई पोस्ट के अंश अपनी पोस्ट में लिखना चाहते हैं, अथवा किसी की टिप्पणी को संदर्भ के रूप में लेना चाहते हैं तो पहले उस मूल लेखक की अनुमति अवश्य लें, तथा जहाँ से आप उसे ले रहे हैं, उस पोस्ट का लिंक भी दें.अनवांछित टिप्पणी हटा दीजिए: आपका ब्लॉग आपकी निजी सम्पत्ति है. इसलिए आप किसी भी टिप्पणी को हटाने के लिए स्वतंत्र हैं, तथा उसे अनुमोदित करने के लिए भी. इसलिए यदि आपको कोई टिप्पणी विषय अनुरूप नहीं लगती तो उसे बेहिचक मिटा दीजिए. लेकिन इस प्रक्रिया में यथासम्भव ईमानदारी बनाए रखिए. पारदर्शिता: आपके ब्लॉग पर आपके नियम लागू होते हैं. आप अपने नियम स्वयं बना सकते हैं. आप यह तय कर सकते हैं कि लोगों को टिप्पणी देनी है कि नहीं, और उनकी टिप्पणी स्वतः प्रकाशित होगी या नहीं या किन शब्दों को हटा दिया जाएगा इत्यादि. लेकिन इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखिए. अर्थात यदि आप कोई नया नियम बना रहे हैं तो लोगों को साइड बार में सूचित करिए. अपनी गलती मानिए: कोई भी हर पर हर समय सही नहीं हो सकता है. यदि आपसे जाने अनजाने कोई भूल हुई हो तो तुरंत माफी मांग कर आगे की सोचिए. रक्षात्मक रूख अपना कर और तर्क वितर्क करके आप समय नष्ट करेंगे. छद्म रूप ना धरें: कोशिश करें कि छद्म नाम से टिप्पणी ना करें. ध्यान रखिए यदि आप अपना नाम देकर टिप्पणी नहीं कर पा रहे तो बेहतर है वह टिप्पणी ना करें, क्योंकि यह आप भी जानते हैं कि आपकी वह टिप्पणी किसी के लिए दुखद होगी. आप अपने ब्लॉग के लिए अपना नाम पसंद कर सकते हैं. लेकिन फिर वही नाम से टिप्पणी भी करें. क्योंकि लोग आपको आपके विचारों से पहचानते हैं. अपनी पहचान को क्षति मत पहुँचाइए और खुद के प्रति ईमानदार बनिए. कम से कम ग्राफिक रखिए: ध्यान रखिए कि सब लोगों के पास ब्रोडबेंड कनेक्शन नहीं होता है. इसलिए अपने ब्लॉग पर कम से कम ग्राफिक रखिए. छवियाँ यथासम्भव छोटी रखिए. विवादों में ना पड़े : कुछ ब्लॉगर विघ्न संतोषी होते हैं. उनके पास सिर्फ विवादित विषय ही होते हैं. कोशिश करिए की उनके द्वारा प्रायोजित किसी भी विवाद से बचें . त्वरित प्रतिक्रिया ना दें. ज़बरदस्ती पोस्ट ना पढ़वाएँ: किसी भी ब्लॉगर साथी को अथवा अपने पाठक को चैट क्लाइंट द्वारा या इमेल द्वारा निजी मेल कर के अपनी पोस्ट पढने को बाध्य ना करें. ना ही टिप्पणी देने के लिए प्रार्थना (बाध्य) करें. याद रखिए ऐसा करने पर आप अपनी विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा खो रहे हैं. और लोग सिर्फ आपका मन रखने के लिए टिप्पणी कर रहे हैं. उन्हे आपकी पोस्ट में कोई दिलचस्पी नही है. टिप्पणी आपकी लोकप्रियता नहीं दर्शाती: यदि आपको 30 टिप्पणी मिलती है और आपके साथी को 5 तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपका साथी कमतर लेखक है. टिप्पणियों से लोकप्रियता का अंदाजा नहीं लगता. यह देखिए कि आपके लिखे को कितने लोग पढ़ते हैं, यह मत देखिए कि कितनों के टिप्पणी दी. ऐसा हो सकता है कि आपके लेख पर टिप्पणी देने जैसा कुछ हो भी नहीं, पर आपके लेख को पसंद किया जा रहा हो. निजी प्रहार ना करें: किसी भी साथी पर तथा अन्य किसी भी व्यक्ति पर निजी प्रहार ना करें. याद रखिए आप किसी को मानसिक कष्ट पहुँचा सकते हैं. किसी के लिए उन शब्दों का प्रयोग ना करें जो आप खुद अपने लिए ना सुन सकें. व्यक्ति के विचारों का विरोध करिए लेकिन उस व्यक्ति का नहीं. विषय अनुरूप ही लिखिए: ध्यान रखिए कि आप किस विषय पर लिख रहे हैं. कोशिश करें कि आपने जिस विषय पर लिखना शुरू किया है, उसी पर खत्म भी करें. छोटा लिखिए: कम से कम शब्दों में लिखने का प्रयत्न करें. याद रखिए लोगों के पास पढने को बहुत कुछ है पर समय नही हैं. वे आपके लम्बे लेख को आधा पढ़े इससे अच्छा है छोटे लेख को पूरा पढ़े. प्रति टिप्पणी करिए: यदि आपको टिप्पणी मिल रही है तो उसका धन्यवाद ज़रूर व्यक्त करिए. तथा हर टिप्पणी का जवाब लिखें. ध्यान दीजिए, इससे आपके पाठक को अच्छा लगेगा और वह आपके ब्लॉग पर बार बार आना पसंद करेगा. विज्ञापन रखिए पर ध्यान से: आपको अपने ब्लॉग से कमाई करने का पूरा अधिकार है. परंतु अपने पाठक वर्ग की कठिनाइयों के उपर कमाई नही हो सकती. इसलिए विज्ञापन जरूर रखिए लेकिन उन्हे ऐसी जगह लगाएँ जिससे पाठक को पढने मे असुविधा ना हो.

शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009

वीडियो गेम्स करियर के रूप

वर्तमान समय में कम्प्यूटर, मोबाइल, वीडियो गेम, सीडी प्लेयर आदि में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के गेम बच्चे ही नहीं, बड़ों को भी आकर्षित करते हैं। वीडियो गेम्स की दिन-प्रतिदिन बढती लोकप्रियता के कारण सभी छोटे-बड़े शहरों के साइबर कैफे में वीडियो गेम के दीवानों की भीड देखी जा सकती है। गेम डिजाइनिंग के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के खेलों को कम्प्यूटर में डिजाइन कर चिप में डालकर विभिन्न इंटरटेनमेंट डिवाइसों में इस्तेमाल किया जाता है। पीसी व ऑनलाइन गेम खेलने के शौकीनों के लिए अब मोबाइल पर भी यह सुविधा उपलब्ध हो गई है। करियर के रूप में इस क्षेत्र में असीमित संभावनाओं के साथ भरपूर रोमांच भी है. यदि आप गेमिंग के आकर्षक और उभरते क्षेत्र में रोमांचक करियर बनाने के इच्छुक हैं, तो आप भी अपनी कल्पना के पंख को फैलाकर गेमिंग के विकल्प में करियर को एक नई दिशा दे सकते हैं। तेजी से उभरते हुए इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। नेशनल असोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज के आंकडों के मुताबिक, वर्ष 2010 तक भारत में गेमिंग का कारोबार लगभग 10 अरब डॉलर तक हो जाने की संभावना है। गेमिंग करियर का सबसे बडा लाभ यह है कि इसमें आप मनोरंजन के साथ-साथ अच्छी कमाई भी कर सकते हैं।
मुख्य धाराएंगेम डेवलपमेंट एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें रचनात्मकता, प्रतिभा व अनुभव के साथ उज्ज्वल भविष्य की नींव रखी जा सकती है। इसकी मुख्य धाराएं हैं- डिजाइन, प्रोग्रामिंग, आर्टवर्क, कंटेन्ट क्रिएशन व टेस्टिंग आदि। आइए जानते हैं इनके बारे में थोडे विस्तार से..
आर्टिस्टकिसी भी गेम में लोगों को आकर्षित करने के लिए ग्राफिक डिजाइनिंग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस क्षेत्र में आर्ट डायरेक्टर, कॉन्सेप्ट आर्टिस्ट, कैरेक्टर मॉडलर, कैरेक्टर एनिमेटर, एनवॉयरनमेंटल 3डी आर्टिस्ट, इफेक्ट्स आर्टिस्ट आदि के रूप में करियर को एक नई दिशा दे सकते हैं। गेमिंग इंडस्ट्री में आर्टिस्ट के रूप में करियर बनाने के लिए फाइन आर्ट्स या इससे संबंधित डिग्री प्राप्त करना आवश्यक है। पेंटिंग, ड्रॉइंग, कलर थ्योरी, स्कल्पचर और डिजाइनिंग के मूलभूत सिद्धांतों की जानकारी हासिल करने से रचनात्मक दक्षता का विकास होता है। वैसे, एक आर्टिस्ट के लिए विजुअल इमेजिनेशन सबसे जरूरी है। अगर आप में अपनी कल्पना शक्ति के सहारे किसी भी चीज को खूबसूरत स्वरूप देने की क्षमता है, तो आर्टिस्ट बनने से आपको कोई नहीं रोक सकता।
गेम डिजाइनरगेम डिजाइनर किसी भी गेम का ब्ल्यू प्रिंट तैयार करता है और उसे अंतिम स्वरूप देता है। टीम में गेम डिजाइनर के कई स्तरों के पद होते हैं, जैसे-लेवल डिजाइनर्स, राइटर-डिजाइनर्स, लीड गेम डिजाइनर आदि।
प्रॉडयूसरगेमिंग और एनिमेशन इंडस्ट्री में प्रॉडयूसर का कार्य सबसे महत्वपूर्ण होता है। पूरी टीम का मुखिया होने के नाते सभी कार्यों को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी प्रॉडयूसर के ऊपर ही होती है। प्रॉडयूसर के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में निपुणता अनिवार्य है। साथ ही, कम्प्यूटर का ज्ञान भी जरूरी है। संगठन क्षमता, नेतृत्व क्षमता और लगातार लंबे समय तक कार्य करने की क्षमता जैसे गुण इस करियर के लिए मददगार हो सकते हैं।
प्रोग्रामरकिसी भी गेमिंग टीम के अभिन्न अंग होते हैं - प्रोग्रामर। डिजाइनर, प्रॉडयूसर, साउंड आर्टिस्ट आदि के कार्यो को गेम का स्वरूप देना एक प्रोग्रामर का काम होता है। आमतौर पर प्रोग्रामर ही सभी कार्यों को कम्प्यूटर प्रोग्राम के रूप में तब्दील करने के लिए उत्तरदायी होता है। प्रोग्रामर आइडियाज को कम्प्यूटर के अनुरूप मैथमेटिकल स्वरूप देने की कोशिश करता है। इसके लिए मैथ्स की अच्छी जानकारी जरूरी है। इसके अतिरिक्त सी, सी++, जावा, डायरेक्ट एक्स जैसे कुछ खास प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी भी आवश्यक है.
गेमिंग से जुड़े पाठ्यक्रमों में अध्ययन की सुविधा इंडस्ट्रीयल डिजाइन सेंटर, आईआईटी, पवई, मुंबई तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद में उपलब्ध है।
वार्षिक वेतनगेम डिजाइनिंग में सैलरी 1,80,000 रुपये प्रतिवर्ष से शुरु होकर अनुभव के साथ 10,00,000 रुपये प्रतिवर्ष मिल सकती है।

मॉडलिंग करियर

सुष्मिता सेन, ऐश्वर्य राय, प्रियंका चोपड़ा, लारा दत्ता ने ‘मिस यूनिवर्स’ तथा ‘मिस वर्ल्ड का खिताब जीतकर मॉडलिंग करियर को एक नया आयाम दिया है. शोषण का पर्याय माने जाने वाले इस पेशे को अब एक सम्मानजनक पेशे के रूप में देखा जाता है. जहां युवा न केवल एक ग्लैमरस व धन संपन्न पेशे की नींव रख रहे हैं बल्कि दुनिया भर में भारतीय सभ्यता, संस्कृति व सौंदर्य का लोहा मनवाकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं.
मॉडलिंग के प्रति युवाओं के बढ़ते रुझान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अदिति गोवित्रिकर जैसी पेशेवर डॉक्टर तथा राहुल देव जैसे कमर्शियल पायलट ने मॉडल बनने के लिए अपने व्यवसाय का त्याग किया.मॉडल बनने के लिए योग्यतामॉडल बनने के लिए अच्छे नैन-नक्श के साथ सही दृष्टिकोण या अभिवृति अधिक अनिवार्य है। मॉडलिंग का अर्थ घंटों तक निरंतर मेहनत करने की क्षमता है। इसके अतिरिक्त आपको नवीनतम फैशन परिपाटी से हमेशा अवगत रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त स्वस्थ, सुडौल तथा स्फूर्तिवान् होना इस व्यवसाय की पूर्वापेक्षा है
सबसे पहले आपको पोर्टफोलियो तैयार करना होता है। काफी हद तक मॉडल की सफलता पोर्टफोलियो पर निर्भर करती है। पोर्टफोलियो तैयार करना इतना आसान कार्य नहीं है जितना प्रतीत होता है। सही फोटोग्राफर क चुनाव करना जरूरी है, जो नैन-नक्श को कैमरे में कैद कर लेता है तथा विज्ञापनदाता और फैशन डिजाइनर के सामने सबसे सुंदर चेहरे के रूप में प्रस्तुत क्रता है। यह पोर्टफोलियो एजेंसी या कोरियोग्राफर या ऐसे व्यक्ति को दिया जाए, जो शो एवं विज्ञापन अभियान के लिए मॉडल की भर्ती करता है.
शुरुआती दौर में मॉडलिंग कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने में मॉडल समन्वयक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सामान्यत: मॉडल समन्वयक स्वतंत्र उद्यमी होते हैं. ये विज्ञापन एजेंसियों एवं मॉडल के बीच महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं. पिछले कुछ वर्षों में इस उद्योग में फेमिना मिस इंडिया, ग्रेसिम मिस्टर इंडिया तथा ग्लार्ज सुपर मॉडल द्वारा साझा प्लेटफार्म/मंच तैयार हुआ है। भव्य समारोहों एवं शो के इन विजेताओं के नाम घर-घर तक पहुंचते हैं। विदेशों में मॉडलिंग एजेंसियों के अनुसार मॉडलिंग करानेवाली कुछ एजेंसियां मौजूद हैं। लेकिन ये परिधान प्रदर्शनी तथा मनोरंजन कंपनियों के रूप में कार्य करती हैं। इन·ी सूची नीचे दी गई है।
ब्वॉयज इवेंट्स एंड एंटरटेनमेंट काउंसिल ट्रेड की दृष्टि से मॉडलिंग को बढ़ावा दे रही है। ये पोर्टफोलियों शूट करती हैं और उनके लिए कार्य ढूंढती हैं। इंटरनेट पर ऐसी विभिन्न साइट्स हैं, जहां इच्छुक/उभरते हुए मॉडल अपनी तस्वीर तथा परिचय भेजते हैं। इनमें से कुछ साइट मॉडलिंग करियर डॉट कॉम, द रैम्प डॉट कॉम इत्यादि हैं।
नए मॉडल्स प्रति माह पांच हजार से सात हजार रुपए तक कमा सकते हैं। यह आमदनी प्रचार अभियान के प्रचार पर निर्भर करती है। जबकि प्रतिष्ठित मॉडल प्रतिमाह पचास हजार से एक लाख रुपए तक कमा सकते है

आपका व्यक्तित्व

कहते हैं कि सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती। क्योंकि ऐसे लोगों की एक लम्बी सूची है, जिन्होंने कम उम्र में ही सफलता का स्वाद चख लिया है। बहुत से लोगों का ऐसा मानना है कि जीवन में पाने को बहुत कुछ है। जीवन में कभी भी थोड़ा पाकर संतुष्ट नहीं होना चाहिए, इससे विकास के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण बाते हैं, जो आपको कम्पनी में एक बेहतर स्थान और आगे बढ़ने की राह दिखाएँगी-* आपका व्यक्तित्व- अगर आप चाहते हैं कि आप कम्पनी में ऊँचे पद पर पहुँचे तो उसके के लिए खुद ही प्रयास करने होंगे। खुद का व्यक्तित्व स्वयं ही सुधारें। व्यवहारिक बनें, लोगों से सम्पर्क बनाएँ, अंतर्मुखी न बनें। आपको शांत, व्यवस्थित और आत्मविश्वासी होना चाहिए क्योंकि कोई भी ऐसे व्यक्ति के साथ काम नहीं करना चाहेगा, जो बुझा-बुझा सा और निरुत्साहित हो। * अपनी भाषा पर नियंत्रण रखें- भाषा में अशुद्धता और गलत जगह गलत शब्दों का प्रयोग आपके लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि आपके सहयोगी आपके अनुभवों को दरकिनार कर दे और आपके अल्प ज्ञान की खिल्ली उड़ाएँ। ऐसा कोई शब्कोश नहीं कि जिसे देखकर आप अपना ज्ञान बढ़ा सकें। ऐसा देखा जाता है कि जिन लोगों के पास बेहतर 'कम्युनिकेशन स्किल' होती है, उनकी स्थिति कम्पनी में काफी सुदृढ़ होती है। * आपके काम में स्वाभाविकता होनी चाहिए- आपके सुझाव बिल्कुल नए और स्वाभाविक होने चाहिए। यह किसी की देखा-देखी पर आधारित नहीं होना चाहिए। किसी भी समस्या पर जब आप सुझाव दें उसके हर आयाम पर आपके विचार स्पष्ट होने चाहिए। आपके पास जो संसाधन हैं उसका भरपूर उपयोग करें। * सावधानी से सम्भालें अपनी जिम्मेदारियाँ- मैनेजर के पद पर बैठे व्यक्ति से यह उम्मीद की जाती है कि उसमें 'पीपुल मैनेजमेंट' के गुण होने चाहिए। वक्त से कभी भी समझौता न करें। हर काम अपने समय पर पूरा करवाएँ। अगर जरूरत पड़े तो सख्ती भी बरतें। लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि आपकी सख्ती का प्रभाव उनके काम पर तो नहीं पड़ रहा। *अच्छे काम पर शाबाशी देना न भूलें- काम करने के दौरान समूह की भावना को प्राथमिकता दें। क्योंकि कहा जाता है कि 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता'। चीजों को वस्तुनिष्ठ होकर देखें। जिस भी व्यक्ति ने बेहतर काम किया है उसके काम की तारीफ करना न भूलें। अपनी टीम को साथ लेकर चलने का प्रयास करें। विचारों का आदान-प्रदान करते रहें।

बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग)

बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) इंडस्ट्री भारत में तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक है. यह सूचना प्रौद्योगिकी सक्रिय सेवा उद्योग का तेजी से विकसित होता क्षेत्र है. बीपीओ का अर्थ सभी क्षेत्रों में आउटसोर्सिंग को विकसित करना होता है. बीपीओ में उपभोक्ता सहायता सेवा, टेलीमार्केटिंग सेवाएं, तकनीकी सहायता सेवा, आईटी कर्मचारी हेल्प-डेस्क, बीमा सेवा, डेटा प्रविष्टि सेवा, डाटा रूपांतरण सेवा, ऑनलाइन रिसर्च सेवा, फार्म प्रोसेस सेवा के साथ ओसीआर स्कैनिंग आदि विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान की जाती है .
भारत में बीपीओ करियर में संभावनाएं बीपीओ क्षेत्र में करियर के शुरुआती दौर में आसानी से जॉब हासिल की जा सकती है. अधिकांश बीपीओ कर्मचारियों को घर में ही प्रशिक्षण प्रदान करते है. आमतौर पर, किसी भी विषय में स्नातक के साथ उम्मीदवार बीपीओ कंपनियों में शामिल हो सकते हैं. इनमें किसी भी शैक्षणिक विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती और न ही कोई उम्र सीमा. इसके अतिरिक्त कर्मचारियों को परिवहन आदि उत्कृष्ट सुविधाओं के साथ अच्छा वेतन भी प्राप्त होता है. अच्छा वेतन, आकर्षक जीवन शैली व कार्य समय के लचीलेपन के कारण बड़ी संख्या में युवा इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
बीपीओ उद्योग के नकारात्मक अंक जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार हर क्षेत्र के भी कुछ सकारात्मक और नकारात्मक पहलू होते हैं. एक बीपीओ क्षेत्र में एक करियर चुनने से पहले सकारात्मक और नकारात्मक बिंदुओं के बारे में एक स्पष्ट विचार अवश्य कर लेना आवश्यक है. लंबे समय तक देर रात काम करने की वजह से अक्सर लोग थकाऊ और नीरस महसूस करने लगते हैं. कुछ लोग उच्च शिक्षा, उच्च वेतन बेहतर स्कोप के लिए बीपीओ उद्योग को छोड़ देते हैं. भारत में प्रतिष्ठित बीपीओ कंपनियांबीपीओ उद्योग में बढ़ती संभावनाओं के साथ, कई शीर्ष क्रम सॉफ्टवेयर कंपनियों ने अपने बीपीओ केन्द्र स्थापित किए हैं. वर्तमान परिवेश में बीपीओ उद्योग एक लाभदायक उद्योग है. भारत की कुछ जानी मानी बीपीओ कंपनियां हैं, डब्लयू एन एस ग्रुप, कनवर्जिस, जिन्टा, ईएक्सएल, द्क्ष ई-सर्विस, एचसीएल, जीटीडी लि., एचटीएमटी तथा 24/7 कस्टमर इत्यादि.
ये भारत की उत्कृष्ट कंपनियां हैं, जहां कर्मचारी के आकार, कार्यदक्षता, जॉब संतुष्टि व वृद्धि, वेतन और मुआवज़ा, प्रशिक्षण, कंपनी कल्चर और मूल्यांकन प्रणाली जैसे मानदंडों के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराए जाते हैं.

बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

अब ग्रैजुएशन के बाद इग्नू से सीधे MBA

इंदिरा गांधी नैशनल ओपन यूनिवसिर्टी (इग्नू) ने एमबीए के लिए ऐडमिशन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अब CAT एक्जाम देकर बाहर आते स्टूडेंट्स।यहां एमबीए और दूसरे मैनिजमंट प्रोग्रैम्स में ऐडमिशन के लिए फ्रेश ग्रैजुएट भी अप्लाई कर सकते हैं। अभी तक नौकरीपेशा या तीन साल का अनुभव रखने वाले ही मैनिजमंट प्रोग्रैम में एडमिशन ले सकते थे। ऐडमिशन के लिए होने वाले एंट्रेस टेस्ट में बैठने के लिए ग्रैजुएशन में जनरल कैटिगरी के स्टूडंट को कम-से-कम 50 फीसदी और रिजर्व कैटिगरी के स्टूडंट को 45 फीसदी मार्क्स के साथ पास होना होगा। इग्नू के प्रवक्ता रवि मोहन ने बताया कि जिन छात्रों ने कैट या स्टेट लेवल के किसी एंट्रेस टेस्ट को क्लियर किया है, लेकिन किसी वजह से वहां ऐडमिशन नहीं ले पाए, वे अगर इग्नू से एमबीए करना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए एंट्रेस टेस्ट में बैठने की जरूरत नहीं होगी। ऐसे छात्रों को इग्नू डाइरेक्ट ऐडमिशन दे देगा। एमबीए के अलावा, डिप्लोमा इन मैनिजमंट (डीआईएम), पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा इन मैनिजमंट (पीजीडीआईएम), पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा इन ह्यूमन रिसोर्स मैनिजमंट (पीजीडीएचआरएम), पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा इन फाइनैंशल मैनिजमंट (पीजीडीएफएम), पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा इन ऑपरेशंस मैनिजमंट (पीजीडीओएम) और पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा इन मार्किटिंग मैनिजमंट (पीजीडीएमएम) कोर्सेज के लिए ये नए बदलाव लागू होंगे।