आजकल हमें अक्सर कम्प्यूटर के ज़रिए बढ़ रहे अपराधों के बारे में समाचार मिलते रहते हैं। हमारे कम्प्यूटर की सुरक्षा के लिए हम बहुत से पुख्ता इंतज़ाम कर लेते हैं जैसे फायरवॉल की सेटिंग बदलना या फिर ऐंटी वायरस बदलना आदि। लेकिन क्या यह विचार कभी हमारे मन में आया है कि हमारे इतने घंटे कम्प्यूटर पर काम करने का कुछ दुष्परिणाम हमारी सेहत पर भी पड़ सकता है।जो लोग ज़्यादा वक्त कम्प्यूटर के सामने बिताते हैं वे अक्सर ही कई तरह की परेशानियों का सामना करते हैं जैसे पीठदर्द, आँखों में दर्द या फिर जो लोग की-बोर्ड का अधिक उपयोग करते हैं उन्हें हाथों में दर्द और नसों की अकड़न की परेशानी होना आम बात है। इन परेशानियों का लगभग सभी मामूली मान कर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन आगे जाकर यही मामूली दर्द एक बड़ी बीमारी का रूप ले लेता है।इस बीमारी को रिपिटेटिव स्ट्रेस सिंड्रोम कहा जाता है। इस सिंड्रोम में टेंडोनाइटिस और कार्पल टनल सिंड्रोम शामिल हैं।यह सिंड्रोम माँसपेशियों, नसों और जोड़ों के ठीक से काम ना कर पाने की वजह से होता है।टेंडोनाइटिस सिंड्रोम में टेंडन्स पर लगातार ज़ोर पड़ने की वजह से वे जल जाते हैं। कार्पल टनल सिंड्रोम में उन नसों पर असर पड़ता है जो हथेली को उंगलियों से जोड़ती है।अभी तक वैज्ञानिक तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं हुई है की कम्प्यूटर से उत्पन्न होने वाले रेडियेशन से त्वचा संबंधी या प्रेगनेन्सी संबंधी कोई परेशानी हो सकती है लेकिन फिर भी सावधानी रखना इलाज कराने से बेहतर ही माना जाता है।इस सिंड्रोम से मात्र कुछ सावधानियाँ बरतने से बचा जा सकता है।
सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि आपके काम करने की जगह आरामदायक हो। अपने कम्प्यूटर के मॉनिटर को इस तरह रखें कि आपकी आँख से उसकी दूरी आधे हाथ के बराबर हो। की-बोर्ड ऑपरेटर जहाँ तक हो ऐसा की-बोर्ड उपयोग करें जिसमें कलाई को आराम देने वाला पैड लगा हुआ हो।
माउस को ऐसी जगह पर रखें जहाँ से उसका ज़्यादा उपयोग आराम से किया जा सके और आपके कंधे और हाथों में कोई परेशानी ना हो।अपने बैठने के तरीके पर ध्यान दें।ज़्यादा देर तक एक ही जगह पर ना बैठें।स्क्रीन पर आँखें गड़ा कर देखना भी आँखों कें लिए हानिकारक हो सकता है। इससे आप कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम से ग्रसित हो सकते हैं।कोशिश करें कि हर एक घंटे में थोड़ा ब्रेक लें।इन छोटी-छोटी सावधानियों को अपनाकर हम अनचाहे दर्द और थकान से मुक्ति पा सकते हैं।
बचाव के उपाय :* यदि कंप्यूटर का मॉनीटर ब्लिंक कर रहा हो तो उस पर काम करने का खतरा मत उठाइए।* अपने बैठने के तरीके को सुधारें। जितनी देर हो सके कमर को सीधा रखकर बैठने की कोशिश करें। * हर दो-तीन घंटे में कम्प्यूटर स्क्रीन के सामने से हटकर थोड़ी चहलकदमी कर लें। * गर्दन को हल्के-हल्के बार दाएँ-बाएँ घुमाएँ। * आँखों के व्यायाम नियमित रूप से करें। * हर घंटे कुर्सी से उठकर शरीर को सीधा रखकर टहल लें या फिर बैठे-बैठे ही पैरों व हाथों को लंबा रखकर पाँच मिनट व्यायाम करें। * बैठते समय आपके पैर जमीन को ही छुएँ इतनी ऊँचाई पर ही बैठे।* पीठ को पीछे की ओर झुकाते हुए बैठें, न कि आगे की ओर। यदि फर्नीचर से कोई तकलीफ हो तो उसे तुरंत बदल डालें। * बैठे-बैठे गर्दन को आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ करने वाला व्यायाम करें। * बैठी हुई पोजिशन में ही कंधों, हाथों, पीठ, घुटनों, पैरों, कलाइयों आदि के व्यायाम करें। * सीधे बैठकर पैरों को लंबा करें, फिर घड़ी की सीधी और उलटी दिशा में धीरे-धीरे घुमाएँ। * हमेशा कम्प्यूटर से कुछ दूरी बनाकर काम करें।* अपने कम्प्यूटर की स्क्रीन को भी लगातार साफ करते रहें। * अगर आप लंबे समय तक कम्प्यूटर की स्क्रीन के समाने बैठकर थक गए है तो कुछ देर बाहर ताजी हवा में घूम लें। तो जब भी आप कम्प्यूटर पर काम करें। इन बातों का खास खयाल रखें। ताकि अगर आप लंबे समय तक भी कम्प्यूटर पर काम करेंगे तो आपको कोई परेशानी नहीं होगी।
शुक्रवार, 13 नवंबर 2009
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